मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण व विकास में आत्म सम्मान की अहम भूमिका होती है। आत्म सम्मान स्वयं के प्रति स्वयं का उचित मुल्यांकन है। हम स्वयं के बारें में क्या सोचते है, स्वयं के प्रति विश्वास का यह भाव कि हम किन कार्यों को कुशलता व सफलतापूर्वक करने में दक्ष है, प्रतिभा का विकास, योग्यता की प्राप्ति आत्म सम्मान का आधार है।
आत्म सम्मान स्वयं के प्रति एक दृढ़ दृष्टिकोण है। इंसान की भावनाओं को दर्शाने के लिए मनोविज्ञान में उपयोग किया जाने वाला शब्द है आत्म सम्मान। स्वयं के संबंध में स्वयं की सोच आत्म सम्मान कहलाती है। दुनिया को दिखाया जाने वाला वह विश्वास जो इंसान स्वयं पर करता है, उस विश्वास को आत्म सम्मान कहते है।
किसी कार्य को करने की आपकी योग्यता, कुशलता, प्रवीणता, दक्षता का विश्वास ही आपका आत्म सम्मान है। आत्म सम्मान का उच्च भाव मनुष्य को बड़ी से बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए समर्थ, प्रगति के लिए संकल्पबद्ध और सतत कर्मरत रहने के लिए ऊर्जावान बनाता है। जिसका आत्म सम्मान जीवित रहता है, वह कभी अपनी नजरों में नहीं गिरता है।
इसलिए अपने आत्म सम्मान को जिन्दा रखने के लिए लोग बड़े से बड़ा बलिदान देने के लिए भी तैयार रहते हैं। इतिहास के पृष्ठों पर दर्ज हमारे कई महापुरूषों के जीवन प्रसंगों में भी उल्लेख मिलता है कि किस तरह अपने आत्म सम्मान की रक्षा, अपने धर्म व राष्ट्र की सुरक्षा के लिए उन्होंने अपने जीवन तक का बलिदान दे दिया। लेकिन कभी अपने आत्म सम्मान पर आंच तक नहीं आने दी, देश, धर्म व समाज का सिर झुकने नहीं दिया।
हमें अपने आत्म सम्मान को स्वयं विकसित करने के प्रयास करते रहना चाहिए। आत्म सम्मान के विकास के लिए किसी परिस्थिति विशेष या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रोत्साहित किए जाने की प्रतीक्षा नहीं की जाना चाहिए। इस प्रक्रिया को स्वयं जारी रखे। उन परिस्थितियों, उन प्रवृत्तियों से सावधान रहें जिनमें आपका आत्म सम्मान निम्नतम स्तर पर आने का अंदेशा बना रहता है।
उदाहरण के लिए किसी अन्य व्यक्ति से स्वयं की तुलना या ईर्ष्या आपके आत्म सम्मान को कम कर सकती है। स्वयं को कमतर और अन्य को श्रेष्ठ समझने का अर्थ है कि आप स्वयं ही स्वयं का सम्मान नहीं कर रहे। यदि आप स्वयं ही स्वयं को सम्मान योग्य नहीं समझेंगे तो अन्य लोगों से सम्मान की अपेक्षा करना बेमानी है। ईश्वर द्वारा सभी को किसी ना किसी प्रतिभा का उपहार अवश्य प्रदान किया गया है। इसलिए कभी किसी अन्य इंसान से स्वयं की तुलना कर खुद को कम आंकने की भूल ना करें।
बार-बार स्वयं को बेहतर और श्रेष्ठ करते रहने के प्रयास में लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का व्यवहार भी आत्म सम्मान के लिए ठीक नहीं है। दूसरों को नीचा और खुद को बेहतर दिखाने के प्रयास भी आत्म सम्मान के लिए हानिकारक है। इसलिए आत्म सम्मान को बनाए रखने व बढ़ाने के लिए कुछ बातें व्यवहार में लाने की आवश्यकता है।
सर्वप्रथम हमें प्रत्येक परिस्थिति में सहज रहना आना चाहिए। परिस्थितिवश उत्पन्न ईर्ष्या, द्वेष व क्रोध पर तत्काल नियंत्रण करें। अपने मन उपवन में नकारात्मक विचारों के कांटें उगने ना दे। लक्ष्य प्राप्ति में सफलता-असफलता की भविष्यवाणी हम नहीं कर सकते लेकिन लक्ष्य प्राप्ति के लिए ईमानदारी से प्रयास करते रहना हमारे हाथ में होता है।
अपनी कोशिशों से सफलता के प्रयास निरन्तर जारी रखें। स्वयं को परिस्थिति के अनुसार ढालना सीख लीजिए। किसी बात पर बिना सोच विचार किए तत्काल अपनी प्रतिक्रिया देना उचित नहीं होता। इसलिए किसी भी बात पर अपने बौद्धिक सामर्थ्य का उपयोग कर सोच विचार पश्चात आवश्यक होने पर ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें।
जीवन में सम-विषम परिस्थितियों का आना-जाना लगा रहता है। इसलिए अनुकूल परिस्थिति से अतिउत्साहित होकर ज्यादा प्रसन्नता व्यक्त ना करें और ना ही प्रतिकूल परिस्थिति से हतोत्साहित, दुखी होकर स्वयं पर उदासी और निराशा को हावी होने का मौका दे।
प्रत्येक समस्या का समाधान शांत दिमाग से करने की कोशिश करें। हीन भावना को कभी स्वयं पर हावी नहीं होने दे। जीवन में कोई भी इंसान संपूर्ण नहीं होता है। इसलिए कभी खुद को दूसरों की तुलना में कमतर नहीं समझे। स्वयं के प्रति विश्वास कम होने पर जिस भाव का मन में जन्म होता है, वही हीन भावना कहलाती है।
इसलिए खुद की अन्य लोगों से तुलना करने की प्रवृत्ति का भी त्याग करें। कई बार तुलना नकारात्मकता की जनक होती है। यही नकारात्मकता आत्म विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। स्वयं को प्रोत्साहित करने की आदत डाले। इससे आपका आत्म विश्वास बढ़ेगा और आत्म सम्मान में भी वृद्धि होगी।
जीवन में अपने आत्म सम्मान की बढ़ोतरी और उसकी रक्षा के लिए सदैव सजग रहे। जीवन में अनेक अवसर ऐसे आते है जब आपको अपने आत्म सम्मान को बचाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। कई बार आत्म सम्मान की खातिर बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है। व्यक्तित्व विकास और जीवन निर्माण की प्रक्रिया में आत्म सम्मान की बड़ी भूमिका होती है। इसलिए प्रत्येक परिस्थिति में अपने आत्म सम्मान को बचाए रखने की योग्यता विकसित करें। अपने व्यक्तित्व, अपने कृतित्व, सदविचार, प्रतिभा विकास, शुभ कर्मों से अपने आत्म सम्मान को बढ़ाने के प्रयास निरन्तर जारी रखें।